* जब टुरा 21 साल या टुरी 18 साल पूरो होन को बाद बिहाव लायी देखरेख सुरू कर देवय हय। टुरा या टुरी देखन जावय हय, तब सब सी पहले चाय-नास्ता खाय क अगर पसन्द हय त बिहाव को लायी तैयार होय जावय हय।
* फिर दोय या तीन दोन को बाद टिका को कार्यक्रम रखय हय, अऊर टिका लगाय क बिहाव पक्को करय हय। अऊर जेवन कर ख चली जावय हय।
* चार-पाच बुजूर्ग लोगो को संग बैठ क फलदान अऊर बिहाव की तारिख निकालय हय, जो शुक्लपक्ष म होवय हय।
* फलदान वालो दिन टुरा, परिवार अऊर ओको रिस्तेदार बाजा को संग टुरी को साझ को सामान अऊर फर धर क टुरी को यहां जावय हय, अऊर उत टुरा वालो को बड़ो अच्छो रीति सी उन्को स्वागत करय हय। अऊर ओको बाद फलदान को कार्यक्रम सुरू होवय हय, टुरा को जीजा या मामा टुरी वालो ख साझ को सामान देवय हय, ओको बाद टुरी तैयार होन जावय हय, तब टुरी वालो भी टुरा ख नयो कपड़ा दे क तैयार होन लायी भेजय हय। यो होन को बाद पहले टुरी ख पिड़ा पर बैठाय क सब सी पहले टुरा को बाप या दादा थारी म फर अऊर नरियल हाथ म देय क अऊर टिका लगाय क पैसा देवय हय, उच तरह टुरा वालो को तरफ सी जितनो भी मिजवान आवय हय, हि एक को बाद एक आय क टुरी ख टिका लगाय ख रश्म पूरी करय हय।
* उच तरह टुरा ख आंगन म बैठाय क पहले टुरी को बाप या दादा टुरा ख फर या नरियल देय क टिका लगावय हय, ओको बाद पैसा देवय हय। उच तरह टुरी को तरफ सी सब आयो रिस्दार टुरा ख टिका लगाय क रश्म ख पूरी करय हय।
* अऊर फिर टुरा-टुरी दोयी ख बैठाय क अगुंठी पहिनावन को रश्म पूरो करय हय। फिर दोयी तरफ को बुजूर्ग व्यक्ति अऊर पंडीत को संग मिल क बिहाव की तारीख निकालय हय। अऊर फिर जितनो भी मिजवान वहां आवय हय सब लोग जेवन करय हय।
* बिहाव को एक दिन पहले मंडा गाड़ क जामुन की डगाली डाल क मंडा तैयार करय हय, अऊर चौरी ख भी बीच म गाड़य हय अऊर कलर सी रंगावय हय अऊर उच दिन रात म टुरा या टुरी को यहां मंडा सुतन को कार्यक्रम होवय हय, जेको म बड़ो जवाई या फूफा अऊर उन्को पिछू ओकी बहिन या मामी जो धागा सी मंडा को चारयी तरफ घुम क पाच या सात बार सुतय हय। फिर टुरा या टुरी ख हल्दी लगावय हय, अऊर मंडा को जेवन देवय हय।
* फिर दूसरो दिन बिहाव की तैयारी म लग जावय हय, सुबेरे सब बाई लहांडो को पानी को लायी बाजा को संग जावय हय जेको म एक माटी को कलस म पानी धर क वापस आवय हय। फिर अहेर को कार्यक्रम सुरू होवय हय जेको म टुरा या टुरी को माय बाप, भाऊ बहिन अऊर उन्को परिवार ख कपड़ा या पैसा दे क अहेर को कार्यक्रम पूरो करय हय। अऊर जेवन दे क बरात की तैयारी म लग जावय हय।
* फिर तैयारी होन को बाद छिंद की बनी हुयी महुर दुल्हा को मुंड पर बांध क ओख तैयार करय हय अऊर घर सी निकल क मंदिर म जावय हय। फिर दुल्हा की माय दुल्हा को गलो लग क ओख पैसा या टिका लगाय क दही या दुध खिलाय क बिदा करय हय।
* जब बरात दुल्हीन को गांव पहुँच जावय हय त दुल्हा जनवासा पर रवय हय। तब दुल्हा वालो अऊर दुल्हीन वालो बाजा अऊर गुलाल को संग एक दूसरो को संग सजन भेट करय हय फिर दुल्हा मंडा म जावय हय
* बाद म टुरी वालो को तरफ सी बाई मुंड पर कलस धर क दुल्हा ख जनवासा पर लेजावय हय। अऊर अपनो दस्तुर करन को बाद वापस आवय।
* अऊर फिर बिहाव को मंडा म दुल्हा अऊर दुल्हिन ख कुर्ची पर बैठाय क पंडित दोयी को हाथ ख एक को उपर एक रख क धागा सी बांध क अऊर दुल्हीन को भाई एक लौटा म पानी धर क उन्को हाथ पर दालय, स्लोक सुरू होवय तब पानी डालय हय यो तरह स्लोक होन को बाद दुल्हा दुल्हीन चौरी को चारयी तरफ धुम क साथ फेरा लेवय हय।
* यो तरह बिहाव को कार्यक्रम पुरो होवय हय। अऊर जेवन कर क बराती अपनो अपनो घर जान लायी निकल जावय हय।