पहलो स्तर: बच्चा को जनम होन पर सुईन ख बुलावय हय, पैदा होतोच माय अऊर बच्चा को नार जो जुड़्यो रहय हय। ओख काटय हय तब बिटार नहीं हिवय येकोलायी बच्चा को आंग धुलावय हय, या प्रथा हय।

दूसरा स्तर: “सुतुक/छटी” लगभग छय: दिन या ओको आगु को दिन नार झड़य हय, तब तक बिटार म माय अऊर बच्चा दोयी रहय हय “सुतुक/छटी” को कार्यक्रम होन को बाद बिटार खतम होवय हय।

तिसरो स्तर: लोधी लोगों म जब बच्चा (टुरा/टूरी) बारा दिन होन को बादस सुईन को द्वारा बारसा करय हय। हमरी जात को अलावा दूसरी जात को लोग लोधी को यहाँ जेवन नहीं करय हय। येकोलायी यको अनुसार बिटार रह्य हय। मतलब उन्ख देख क यो बारसा बारा दिन म करय हय। जेको सी पूरी शुध्दता माय बच्चा अऊर घर को लोग को लायी होवय हय, यो नियम सुईन न लोधी जाती को उपर लागु करयो हय।

चौथो स्तर: जब बच्चा को बारसा होय जान को बाद लोधी लोगों को देवता होन को वजह सी देवता सम्बधित त्यौहार जसो होली, शिवरात्री, असो समय म बच्चा को पहलो मुंडन करावय हय। कहीं कहीं उन्को पुर्वजों को अनुसार कुछ त्यौहार ख जेको म ओको मुंडन होनो होतो, चुक गयो त ओको अगले साल म करय हय। कभी कभी मन्नत को अनुसार जो देवता को जवर जानो होवय हय, ऊ देवता बहुत दूर हय, अऊर जाय नहीं सक्यो त असी परिस्थिती म तीन साल भी लग जावय हय, कहालीकि पहलो मुंडन भगवान ख चड़ावय हय।

पाचवो स्तर: पहलो मुंडन होन को समय बच्चा की फुफू या आजा-आजी बाल काटतो समय बाल झेलन को समय उनको होनो जरूरी रह्य हय।

आखरी स्तर: “सुतुक/छटी” को जेवन मुंडन होन वालो बच्चा को माय को परिवार जेवन नहीं करय, ओको अगले दिन को बाद सी उनको घर को सभी लोग या रिस्तेदार या पड़ोसी उनको यहाँ पानी पी सकय हय, पर जादातर लोग बारसा को बाद सबी लोग पुरो रिती सी खाना पिना खाय सकय हय।

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