फरों अऊर जामुन की खोज म जंगल सी जातो हुयो एक गरीब आदमी न एक डुक्कर ख देख्यो जेको पर बाघ न हमला करयो होतो। आदमी न बाघ ख भगाय क ओख भगन म मदत करी। निपुनता सी भग क डुक्कर न कह्यो, “मय बहुत आभारी हय तय न अज मोरो जीव बचायो हय। मोख तुम्हरो कर्ज चुकावनो हय। कृपा कर क् मोरो पीछु आवो।”
आदमी डुक्कर को पीछु चली गयो जो ओख एक गुफा म ले गयो, जहां सी जनावर न एक मुंदी निकाली अऊर कह्यो, “या मुंदी लेवो अऊर येख अपनो घर की छत पर बान्ध देवो अऊर भाग्य तुम्हरो साथ देयेंन।” आदमी न उपहार स्विकार करयो, सुक्कर न धन्यवाद दियो अऊर अपनो घर चली गयो।
रात होतोच आदमी अऊर ओकी पत्नि सोवन चली गयो। दूसरो दिन सुबेरे, उन्को एक बार खाली घर समृद्धि सी भर गयो होतो, ऊपर को कमरा म दार अऊर मसालों की बोरियां अऊर सयपाक घर म सब्जि-भाजी को होतो। हि आखिरकार भरपेट खाय सकत होतो अऊर अपनो पालतू जनावर ख खिलाय सकत होतो। परिवार को अच्छो भाग्यो को संग, दंपति अऊर ओको पालतू जनावर आराम सी रहत होतो।
जसो जसो हप्ता बितत गयो, पेखन वालो उत्सुक होत गयो अऊर पड़ोसी घर को उप्रत्याशित सौभाग्य पर आश्चर्यचकित होत गयो। एक चालाक गांव न उन पर जासूसी करी अऊर जादूयी मुंदी को बारे म पता लगाय लियो। वा रात, ऊ घर म घुस गयो अऊर मुंदी चुराय लियो।
घर को भाग्य जल्दीच अपनी गरीबी की स्थिति म वापस आय गयो। गर की बाई परेशान होती कहालीकि वा अब अपनी बिलायी अऊर कुत्ता ख खाना नहीं खिलाय सकत होती। ओन कह्यो, “कृपया चली जावो, यहां तुम्हरो लायी कुछ नहाय। कोयी दूसरो घर ढूंढो!”
कुत्ता न बिलायी सी पूच्छ्यो, “हमरो भाग्य कसो बदल गयो? हम का करबो?” बिलायी न याद करयो, “पहले छत पर एक मुंदी बन्धी रहत होती, पर अब वा वहां नहाय। मोख लगय हय कि हम्ख ओख ढूंढनो चाहिये।”
दोयी मुंदी ढूंढन ख निकल गयो। उन्न अपनो गांव अऊर आजु-बाजू को गावों की तलाशी करी, यहां तक की एक नदी की धारा ख भी पार करयो। हि मुंदी ढूंढन अऊर ओख ऊ दयालु जोड़ा को जवर वापस लिजान लायी मजबूत होतो।
जल्दीच हि तक समृद्ध घर म पहुंच गयो। कुत्ता न अनुमान लगायो कि घर म अभी-अभी समृद्धि आयी हय, कहालीकि ओको ठीक बगल म मूसा को बिहाव होतो अऊर बिहाव को मौसम अजीब होतो। यो निश्चित रूप सी चोर को घर होतो, उन्न अनुमान लगायो।
जब हि सोच रह्यो होतो कि का करबो, त बिलायी ख एक बिचार सूझ्यो। ओन बगल को घर सी मूसा को दुल्हा ख पकड़ लियो। दूसरो मूसा घबराय गयो अऊर बिलायी बिनती करन लग्यो, “कृपया, दूल्हा ख जान देवो! कृपया ओख नुकसान मत पहुंचावो।” कुत्ता न जवाब दियो, “हमरो ओख कोयी नुकसान पहुंचान को कोयी इरादा नहाय। बिलायी ओख एक एहसान को बदला जान देयेंन। हम्ख वा मुंदी चाहिये जो अमीर आदमी को घर की छत पर बन्धी हय।” मूसा चोर की छत पर गयो, वहां सी मुंदी ख अलग करयो अऊर कुत्ता को जवर ले आयो। बिलायी न अपनी बात रखी अऊर दूल्हा ख जान दियो। बिहाव को कार्यक्रम खुशी-खुशी चालु रह्यो।
जब बिलायी अऊर कुत्ता मुंदी ले क वापस आयो, त जोर सी पानी आवन लग्यो अऊर उन्को चारयी तरफ मेंडका खुशी सी टर्रावन लग्यो। जो नदी ख ही पहले पार कर चुक्यो होतो, ओको पानी को स्तर म बढ़ गयो होतो, अऊर वा एक बाढ़ बन गयी होती। उन्को जवर धारा को सामना करन को अलावा कोयी पर्याय नहीं होतो। बिलायी पहले कूद गयी अऊर कुत्ता ओको पीछु-पीछु कूद गयो। जब हि तेज पानी ख पार कर रह्य होतो, त मुंदी ओको मुंह सी फिसल गयी। किनार पर पहुंचन को बाद, उन्ख जल्दी सी सोचनो पड़्यो कि हि धारा की गहरायी सी मुंदी कसी निकालबोंन।
जल्दीच पानी आवनो बन्ध भय गयो अऊर उन्न जवर नदी को मेंडका को बिहाव को कार्यक्रम देख्यो-बारिश को बाद एक आम घटना। उन्न दूल्हा ख पकड़तो हुयो अपनी चाल फिर सी चलायी। दूसरो मेंडकावों न बिनती करी, “कृपया हमरो ख जान देवो, कृपया ओख नुकसान मत पहुंचावो!” अब मेंडकावों की बारी होती कि हि धारा की गहरायी सी मुंदी लाये, ताकि दूल्हा ख कोयी नुकसान नहीं करे। हि धारा म कूद्यो अऊर मुंदी बाहेर लायो। जब कुत्ता न फिर सी मुंदी अपनो मुंह म डाली, त दूल्हा मेंडका ख छोड़ दियो गयो, अऊर बिहाव को कार्यक्रम फिर सी सुरू भय गयी।
बिना कोयी अऊर अप्रिय घटना को, बिलायी अऊर कुत्ता अपनो घर पहुंच गयो। बिलायी छत पर चढ़ गयी अऊर मुंदी ख वहांच बान्ध दियो जहां वा पहले होती। बाई अपनो पालतू जनावरों ख फिर सी देख क खुश भयी। यो तरह बिलायी अऊर कुत्ता न मुंदी ख उन्को घर म वापस कर दियो अऊर परिवार म समृद्धि वापस लाय दियो।
एक बिलायी अऊर कुत्ता की कहानी जो अपनो मालिक को घर मुंदी वापस कर देवय हय अऊर परिवार म समृद्धि वापस लावय हय। कहानी सिखावय हय कि जनावरों ख परिवार को हिस्सा मान्यो जानो चाहिये अऊर उन्की देखभाल करनो कोयी नुकसान नहाय।
लोकगीत एक पारंपरिक मौखिक परंपरा आय जेको म मिथक, गद्य, पद्य कताये, नाटक अऊर अनुष्ठान शामिल हय। या सामाजिक रीति-रिवाजों, संस्कृति अऊर व्यवहार को रूपों ख लिजाय सकय हय। लिखित साहित्य लोककथावों अऊर मौखिक परंपरावों ख संरक्षित करन म मदत कर सकय हय।