विषय:– गर्बधारन (बच्चा पैदा होन को पहले) हमरो समाज कि धार्मिक विधि

रीति रिवाज:- यो मायीका पक्ष म होवय हय। टुरी की फुफु आवय हय

धार्मिक कारन:- सात महिना को बाद गोद भरायी को कार्यक्रम होवय हय। पर यहां पर बच्चा को अलग व्यक्तित्व नहाय। पर हमरो समाज म एक बच्चा आवन वालो हय ओकी खुशी म एक बाई ख माय बनन को सौभाग्य हासिल होवय हय। या धार्मिक मान्यता हय।

बच्चा को व्यक्तित्व:- बच्चा ख अभी खुद को व्यक्तित्व नहीं मोल्यो हय।

विषय:- बच्चा को जनम दिन।

रीति रिवाज:- बच्चा को जनम होन पर सुईन ख बुलावय हय, पैदा होतोच माय अऊर बच्चा को नार जो जुड़्यो रह्य हय। ओख काटय हय यां बिटार नहीं होय येकोलायी बच्चा को आंग धुलावय हय, या प्रथा हय।

धार्मिक कारन:- समाज को मान्यता को अनुसार हमरो समाज को अनुसार हमरो समाज को लोग येख पुरानी परम्परावों म बिटार मानय हय।

बच्चा को व्यक्तित्व:- यहां पर बच्चा ख पहिचान मिलय हय।

विषय:- बच्चा को जनम को बाद (सुतुक)

रीति रिवाज:-यो माईका पक्ष म होवय हय। जनम्यो हुयो बच्चा की फुफु यां पड़ोसी बाईयों की उपस्थिति रह्य हय यो कार्य नार झड़न को बाद होवय हय।

धार्मिक कारन:-सुतुक” “छटी” लगभग छय दिन या ओको आगु को दिन म जब तक नार नहीं झड़य हय, तब तक बिटार म माय अऊर बच्चा दोयी रह्य हय अऊर सुतुक (छटी) को कार्यक्रम होन को बाद बिटार खतम होवय हय। येको धार्मिक कारन असो हय कि हि तेंदू (टेमंरून) की लकड़ी दरवाजा की डेहरी पर आड़ी रखय हय, कि कोयी तरह की नजर नहीं लगे। अऊर अगर दूसरो लोग मिलनो चाहवय हय त वा लकड़ी ख लांघ क मिलय हय येकोलायी कि ऊ बच्चा ख कोयी की नजर नहीं लगे।

विषय:- जनम को दिन को बाद नामकरन (बारसा)

रीति रिवाज:- बारा दिन को बाद बारसा या नामकरन को कार्यक्रम होवय हय ओकी फुफु की मौजूदगी अनिवार्य हय तथा निमंत्रित रिस्तेदार की मौजूदगी म भाली ख बुलायो जावय हय अऊर ओको पहिलो मुंडन करायो जावय हय। यो पहिलो मुंडन येकोलायी करय हय कि हमरो लोगो को माननो हय कि बच्चा को पहिलो बाल बिटार होवय हय अऊर ओख भगवान ख चढ़ायो जावय हययेकी विधि बच्चा की फुफु चाऊर को आटा सी बन्यो हुयो लोयी म झेलय हय। अऊर फिर बाल ख लोयी म रख क ओख नदी यां तलाव म विसर्जन करय हय। येकोसी बच्चा शुद्ध होय जावय हय। अऊर उच दिन ओको पंडित को द्वारा कुन्डली देख क नामकरन करयो जावय हय। येको म कुछ रिस्तेदार ऊ बच्चा को लायी उपहार लावय हय।

धार्मिक कारन:- जब बच्चा को बारसा होन को बाद लोधी लोगो को इस्ट देवता शंकर भगवान होन को वजह शंकर भगवान सी सम्बनधित त्यौहार जसो होली, शिवरात्री असो समय म बच्चा को पहिलो मुंडन कराय क अपनो इस्ट देवता ख अपनो भगवान चढ़ावन को रिवाज हय। येको सी ओकी उमर सुरक्षित रहय हय। कहीं- कहीं उन्को पूर्वजों को अनुसार उच त्यौहार ख जेको म ओख मुंडन होनो होतो मुंडन करावय हय। येख पंडित सी येकोलायी करावय हय कि ओको ग्रह नक्षत्र देख क आगु कुछ बच्चा को जीवन म कठिनायी नहीं आये येकोलायी पंडित ख बुलाय क नामकरन करयो जावय हय।

विषय:- जनम को छय महिना को बाद खिर खिलानो

रीति रिवाज:- घर की छपरी गोबर सी सरावय हय। ओकी चाऊर को आटा की रांगोड़ी बनाय क ओको पर बच्चा ख बैठाय क हरो केरा को पत्ता म खिर बनाय क बच्चा ख खिलाय क या विधि ख करय हय। हल्को आहार खिलावन कि विधि ख करय हय।

धार्मिक कारन:-असो मान्यो जावय हय कि भगवान उच दिन सी ओकी आहार नली ख मजबूत करय हय। ऊ दिन सी लोग ओख बिस्कुट वगेरे खिलावय हय।

विषय:- टुरा, टुरी की फलदान की विधि (बिहाव सी पहले)

रीति रिवाज:- पंडित को अनिसार जब टुरा यां टुरी की बिहाव की उमर होय जावय हय, तब पंडित को द्वारा उन्की कुन्डली, गुन, नक्षत्र देख्यो जावय हय। अऊर ओकोच आधार पर आगो को रिस्ता तय करयो जावय हय।

धार्मिक कारन:-यो येकोलायी करयो जावय हय कि मान्यतावों को अनुसार अगर कुन्डली नहीं मिली त बिहाव को बाद उन्को जीवन म अनहोनी होन को लक्षन पड़ सकय हय असो मान्यो जावय हय।

विषय:- फलदान को कार्यक्रम

रीति रिवाज:- अपनो गांव सी बाजा को संग टुरा वालो टुरी को घर बरात ले क आवय हय, फिर उन्को आवन को बाद टुरी वालो सब मिजवानों ख पहिले नास्ता चाय पानी देवय हय। ओको बाद टुरा को जीजा अऊर फूफा टुरी को घर को अन्दर जाय क साड़ी, जेवर, फर, देक आवय हय। फिर टुरा वालो पाना बनाय क सब लोगों ख देवय हयोको बाद टुरा वालो टुरी को पाय को पाय पड़य हय फिर टुरी वालो टुरा को पाय पड़य हय। ओको बाद टुरी अऊर टुरा एक दूसरो ख मुंदी पहिनावय हय ओको बाद पंडित अऊर टुरा बाप अऊर टुरी को बाप हि तीनयी मिल क बिहाव की तारीख निकालय हय। ओको बाद सब लोगों ख खाना खिलावय हय खाना खिलाय क टुरा वालो की बिदायी कर देवय हय।

धार्मिक कारन:- हमरो लोधी समाज म फलदान (सगाई) की परम्परा ख पूरानी रीति रिवाजों को अनुसार मान्यो जावय हय

विषय:- तेलमंडा को कार्यक्रम

रीति रिवाज:- तेल को दिन लोधी समाज म सुबेरे काका, फूफा, जीजा, मौस्या, अऊर भी घर को लोग ग्यारा थुन्नी अऊर चौरी गड्डा म खड़ी कर क् फिर फुफु हाथ म हरदी ले क उन लोगों ख पीठ पर हरदी को छाप लगावय हय। ओको बाद फिर शाम म बड़ो काका लोग मन्दिर म जाय क पूजा कर क आवय हय।

धार्मिक कारन:- हमरो लोधी समाज म तेल की परम्परा पूरानी रीति रिवाज सी चली आय रही हय येकोलायी या रीति ख मान्यो जावय हय

विषय:- लोधी बिहाव (लाहन्डो को पानी)

रीति रिवाज:- बिहाव को दिन सुबेरे हमरो समाज म सुबेरे लाहन्डो को पानी को लायी कुंवा पर जावय हय। फिर अऊर दुल्हा को तरफ को रिस्तेदार बिहाव को लायी दुल्हिन को यहां बरात ले क जावय हय। जब बरात दुल्हिन को मन्डा को सामने पहुंचय हय तब दोयी पक्ष को लोग अत्तर, गुलाल छिड़क क सजन भेंट करय हय,  ओको बाद हमरो समाज म एक दस्तुर रहय हयदुल्हा मन्डप म जावय हय, ऊ दुल्हिन पक्ष को कुवासा जो दुल्हा ख मन्डप सी दूसरो को गर म लिजाय क बैठावय हय, ऊ जागा ख जनवासा कह्य हय। ओको हि दुल्हा ख वापस मन्डा म  ले क आवय हय, अऊर चौरी को जवर पीड़ा पर दुल्हा अऊर दुल्हिन ख बिठाय क बिहाव को कार्य जो श्लोक को द्वारा अंपन्न करय हय। अऊर दुल्हिन को छोटो भाऊ कन्यादान करय हय। दुल्हा दुल्हिन एक दूसरो को हाथ म हाथ दे क दुल्हिन को भाऊ पानी ग्रहन करय हय। बिहाव लगन को बाद दुल्हा दुल्हिन को गलो म मंगलसुत्र पहिनावय हय, अऊर हि दोयी एक दूसरो को गलो म वरमाला पहिनावय हय, अऊर दुल्हा सिंदुर सी दुल्हिन की मांग भरय हय। बिहाव लगन को बाद बरातियों ख पंगत सी बिठाय क पत्राली म खाना खिलायो जावय हय।

धार्मिक कारन:- पूरानी रीति रिवाजों को हिसाब सी हमरो समाज म टुरी मंगसुत्र पहनय हय तबच ओख विवाहित मान्यो जावय हय। मान्यता हय कि सात फेरा ख सात जनम को बन्धन मान्यो जावय हय।

विषय:- बिदायी

रीति रिवाज:- बिदायी को दस्तुर म दुल्हिन अपनो भाऊवों ख कुछ उपहार देवय हय अऊर दुल्हिन दुल्हा को संग दुल्हा को घर जावय हय। अऊर फिर दुल्हा को घर खाजा बाटन को कार्यक्रम होवय हय। अऊर उच दिन दुल्हिन ख जेवन को बाद अपनो माईका म वापस लावय हय।

धार्मिक कारन:- दुल्हिन ख माईका येकोलायी वापस लावय हय कि जब तक पठौनी (खाजा बाटन को कार्यक्रम) नहीं होवय  तब तक दुल्हा ख दुल्हा ख दुल्हिन नहीं सौपय।

विषय:- जब कोयी इन्सान की मृत्यु होय जावय हय?

रीति रिवाज:- जो दिन आदमी मरय हय। ऊ दिन घर की वा जागा पर गोबर सी सराय क वा जागा पर मरन वालो ख सुलावय हय। अऊर ओको मुंड हमेशा दक्षिन दिशा को तरफ रख्यो जावय हय। ओको मुंड को जवर लिम को पाना रखय हय, तथा ओको टुरा मृत्यु शरीर ख अपनी गोदी म ओको मुंड रखय हय। अऊर बाकी लोग ओको आजु-बाजू बैठय हय।

धार्मिक कारन:- हमरो पूर्वजों की परम्परावों को अनुसार जो तरह लो कपड़ा बदलय हय उच तरह आत्मा शरीर बदलय हय। शरीर त नाश होय जावय हय, पर आत्मा नहीं। आदमी को शरीर को अन्त ओकी मृत्यु को संगच होय जावय हय।

विषय:- मृत शरीर ख शमशान घाट लिजान की विधि?

रीति रिवाज:- समाज को दूसरो लोग दोय हरो बास अऊर नव हरो बास की कमची सुम की रस्सी सी बान्ध क सकोली बनावय हय, जो लगभग सात फिट लम्बी अऊर दोय फिट चौड़ी होवय हय। सकोली को ऊपर चुराटी यां घास बिछाय क कोसारा यां कोरो यां कफन को कपड़ा बिछाय क ओको पर सुलावय हय, फिर सी ओको पर बारा यां येकविस बंगला पान बिछाय क ओको पर सुलावय हय, फिर सी ओको पर कोसारा को कपड़ा झाक क ओख सुम की रस्सी सी बान्ध देवय हय, अऊर फुल को हार ऊपर सी डालय हय, अऊर मस्तक पर एक सिक्का रखय य, अऊर सब लोग पैसा डाल क ऊ मृत शरीर को पाय पड़य हय।

यदि कोयी सुहागिन बाई मर जावय हय त आखरी बिदायी सी पहिले ओको पूरि श्रृंगार करयो जावय हय। पूरि श्रृंगार करन को बाद बाई को पति आखरी बार ओकी मांग म सिंदूर भरय हय। यो तरह पूरो श्रृंगार को संगच सुहागिन बाई ख अन्तिम यात्रा  पर भेज्यो जावय हय।

धार्मिक कारन:- हमरो पूर्वजों कि परम्परावों को अनुसार यो सब कार्य करयो जावय हय, जो अज भी येख मान्य करय हय।

विषय:- मृत शरीर ख शमशान घाट लिजान सी पहिले रस्ता म कुछ विधि?

रीति रिवाज:- अऊर मृत आदमी की पत्नि सकोली उठावन सी पहिले दूसरी बाई ओको हाथ की चुड़ी फोड़य हय, अऊर संगच म मस्तक को कुकु पोछ क गलो को मंगलसुत्र मृत शरीर पर डाल देवय हय। अऊर सकोली ओको टुरा अऊर परिवार वालो उठावय हय, अऊर जो कन्धा देवय हय ओकी कमर म गमछा बान्धय हय अऊर उन्को जवायी यां फूफा माटी की काली हान्डी एक कन्डा अऊर जरती हुयी लकड़ी तथा पाच मुठा धान अऊर लायी ले क सकोली ख उठाय क रस्ता म लायी फेकतो हुयो बाजा को संग म चलय हय, अऊर गांव पार होन को बाद कोयी एक जागा पर अर्थी ख ईसामा देवय हय। ओको चारयी तरफ चार मुठा धान अऊर पाचवों मुठा म पूरो धान मुंड को जवर डाल देवय हय। बाईयों ख शमशान घाट म बिलकुल मनायी हय।

धार्मिक कारन:- जब कोयी व्यक्ति की मृत्यु होवय हय त घर म शोक को वातावरन होवय हय। येको अलावा जब ऊ मृत शरीर ख शमशान लिजावय हय त वहां को वातावरन बहुतच तकलिफ वालो होवय हय, कहालीकि ऊ समय बहुतच गहरो शोक म होवय हय। जेख देख क बाईवों ख अघात लग सकय हय। जेको वजह उन्को शमशान जानो मना हय।

विषय:- मृत शरीर ख जलावन की विधि

रीति रिवाज:- लकड़ी अऊर कन्डा रच क मृत शरीर ख सुलाय क ओको पर कन्डा अऊर लकड़ी सी झाकय हय। अऊर मृत आदमी को टुरा माटी की काली हान्डी कन्धा पर ले क पानी म डुब क पानी लाय क पाच बार पानी गिरातो हुयो घुमय हय अऊर अग्नी लगाय देवय हय। अऊर थोड़ो देर बाद पंच लकड़ी डाल क अपनो अपनो घर चली जावय हय।

धार्मिक कारन:- हमरो पूर्वजों बतावय हय, कि मनिष्य को शरीर पाच तत्वों आगी, पानी, हवा, आसमान अऊर धरती सी मिल क बन्यो हय। येकोलायी मृत्यु को बाद केवल शरीर बचय हय जेख वापस हिच पाचों त्तवों म मिलानो रह्य हय। येकोलायी जो व्यक्ति मर जावय हय त सब सी पहिले ओको शरीर ख गंगाजल सी नहलायो जावय हय। फिर ओख अग्नि दियो जावय हय।

विषय:- मृत शरीर ख जलावन को बाद घर को लोग अऊर उन्को कुछ रिस्तेदार कुछ विधि करय हय?

रीति रिवाज:- अऊर मुर्दा जलन को बाद घर को लोग वापस घर आय क उच दिन दोय काली हान्डी ओको म एक हान्डी म उड़द दाल अऊर दूसरी हान्डी म चाऊर डाल क ओख अच्छो सी सजावय हय जसो फुल, सफेद रंग सी रंगावय हय। फिर कावड़ अऊर फुल को हार पहिन क जावय हय अऊर शमशान घाट पर उन्को जवायी को द्वारा सब चिजे बनायी जावय हय, जसो खिचड़ी, रोटी गुड़ डाल क बनावय हय। ओकोच संग संग मुन्डन होन को कार्य होवय हय, ओको बाद राख ख तलाव यां नदी म बहायो जावय हय, ओको बाद सब लोग खाय क अपनो अपनो घर जावय हय अऊर घर की बाई-लोग आंग धोवन को काम निपटावय हय, अब भी दूसरी जाति को अनुसार ऊ घर अशुद्ध मान्यो जावय हय।

धार्मिक कारन:- यहां एक धार्मिक विधि हय जो घर वालो को द्वारा करय जेको म मुन्डन होनो अऊर खिर खिलानो सामिल हय जेको सी हमरो समाज को जो पूसरो लोधॊ लोग हय हि लोग अब खाना खाय सकय हय। फिर भी गांव को लोगों को अनुसार अब भी ऊ घर अशुद्धच कहलावय हय?

विषय:- मनुष्य को मरन को तेरावो दिन एक कार्य करयो जावय हय जेख हमरो समाज म तेरवी कह्य हय?

रीति रिवाज:- ऊ दिन हमरो समाज म पंडित ख बुलायो जावय हय, जो मृत आदमी की आत्मा ख शान्ति मिले येकोलायी पूजा पाठ करयो जावय हय। योच तरह तेरवी को कार्यक्रम करयो जावय हय।

धार्मिक कारन:- हमरी पिढ़ियों सी चल रही परम्परा को अनुसार मरन वालो आदमी की आत्मा ख शान्ति मिले। अऊर गांव वालो को लायी घर शुद्ध होय येकोलायी अच्छो जेवन खिलाय क ओको नाम ख आर्शिवाद दे सके।

विषय:- बड़ो टुरा अपनी पत्नि को संग पहलो करसा भरय हय।

रीति रिवाज:- जसो कि बाप को मरन को दूसरो साल सी चालु होय जावय हय, जो बड़ो टुरा को द्वाराच भरयो जावय हय अऊर उन्को लायी खान-पान लायी कुछ पकवान बनायो जावय हय। जसो बड़ा, सुवारी, कच्चो आम्बा को रस, पापड़, हि चिजे बनायी जावय हय। ओको बाद एक मड़का को करसा ले क ओकी पूजा करी जावय हय।अऊर उन्को नाम सी पहलो भोजन गाय ख खिलायो जावय हय। उच तरह सब लोग उन्को नाम सी जेवन करय हय। योच तरह करसा को कार्यक्रम संपन्न होवय हय।

धार्मिक विधि:-जब हम लोगो ख ऊ करसा को पानी पिलायजे हय तब मान्यो जावय हय कि मृत आत्मा ख शान्ति मिल गयी।

विषय:- श्राद

रीति रिवाज:- हमरो समाज म श्राद हमेशा पितृ-पक्ष म करयो जावय हय जो गनेश चतुर्थी को बाद होवय हय। अऊर पकवान बनाय क जसो बड़ा, सुवारी, पापड़, तुरई को पाना म दोय जागा पकवान रख क घर को छत पर रखय हय। अऊर जब तक कौवा ऊ पकवान ख नहीं खावय तब तक ओख देखतो रह्य हय।

धार्मिक कारन:- पूर्वजों को अनुसार असो मान्यो जावय हय कि जब तक कौवा खाना नहीं खाय लेवय तब तक ओकी मृत आत्मा ख शान्ति नहीं मिली असो मान्यो जावय हय।

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